SECRETARY
PRINCIPAL'S DESK
WELCOME TO JAGADISH NARAYAN BRAHMACHARYASHRAM SANSKRIT UPSHASTRI COLLEGE

भगवत्कृपा से 1964 ई॰ में लगमा गाँव में एक दिव्य तपस्वी श्री 108 जगदीश नारायण ब्रहमचारी का पदार्पण हुआ। उन्होंने वेद विद्या के प्रचार के लिए एक ब्रहमचर्याश्रम खोलने के लिए लगमा गाँव को ही चुना। जयदेव-पट्टी के पं॰ रामेश्वर मिश्र आदि विद्वानों के परामर्श एवं सहयोग से यहाँ 1964 ई॰ में एक संस्कृत विद्यालय खोला गया जिसके प्रधानाचार्य पं॰ महाकान्त झा एवं सचिव पं. रामेश्वर मिश्र हुए। 1966 ई॰ में यहाँ का॰ सिं॰ द॰ संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रथमा से आचार्य तक परीक्षा का सम्बन्धन मिला। उस समय शास्त्रार्थी महर्षि पं. यदुवंश पाठक प्रधानाचार्य थे। 1967 ई॰ से इसे अनुदान भी मिलने लगा और 1967 ई॰ में पं॰ रत्नेश्वर झा प्रधानाचार्य हुए। इसे बिहार सरकार द्वारा निबंधित किया गया। इसकी निबंधन सं॰- 213/1978 है। पहले उत्तर मध्यमा उत्तीर्ण छात्र सीधे शास्त्री में प्रविष्ट होते थे। 1977 ई॰ से उत्तर मध्यमा के स्थान पर उपशास्त्री परीक्षा का संचालन महाविद्यालय स्तर पर इंटर समकक्ष के रूप में प्रारंभ हुआ, जिसमें मध्यमा या मैट्रिक उत्तीर्ण छात्र का नामांकन होने लगा। 1982 ई॰ में जगदीश नारायण ब्रहमचर्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय के शास्त्री एवं आचार्य स्तर को भारत सरकार के द्वारा आदर्श महाविद्यालय के रूप में अधिगृहित किया गया, किन्तु उपशास्त्री स्तर तक पूर्ववत् विश्वविद्यालय के अधीन रहा और आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य ही उसका संचालन करते थे, एक लिपिक श्री मुक्ति नारायण चौधरी और एक राजनीति शास्त्र के शिक्षक श्री सुभाष चन्द्र झा, जिनका समावेश आदर्श महाविद्यालय में नहीं हो सका था उनको विश्वविद्यालय से उपशास्त्री कक्षा संचालन हेतु वेतन मिलता रहा। पूज्य ब्रहमचारी जी की अध्यक्षता में शासी निकाय ने 02/07/1982 को उपशास्त्री महाविद्यालय को स्वतंत्र रूप से चलाने का निर्णय लिया और प्राचार्य ने इस हेतु कुलपति से अनुरोध किया। यद्दपि इसका मूल स्थापना वर्ष 1964 ई॰ है किन्तु उपशास्त्री महाविद्यालय के रूप में स्वतंत्र रूप से 02/06/1982 को इसका शुभारम्भ हुआ। कुलपति ने इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के पास भेजा और राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालयीय विशेष सचिव के पत्रांक- 95/ए. 6-49/82-755 दिनांक- 29/06/1984 के द्वारा इस उपशास्त्री महाविद्यालय को का॰ सिं॰ द॰ सं॰ विश्वविद्यालय से स्थायी सम्बन्धन प्रदान किया गया। फिर भी यह महाविद्यालय आदर्श महाविद्यालय के भवन में आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर कार्यरत डॉ॰ शशि नाथ झा के अधीन ही उपशास्त्री महाविद्यालय संचालित रहा। उपशास्त्री महाविद्यालय के रिक्तियों को प्रावधानुसार भरा गया तत्पश्चात महाविद्यालय के हेतु भवन निर्माण हेतु लगमा ग्राम निवासी स्व॰ राम बिहारी चौधरी ने विदेश्वरस्थान-घनश्यामपुर मुख्य मार्ग पर एक भू-खण्ड दान दिए। जिस पर उपशास्त्री महाविद्यालय अवस्थित है। महाविद्यालय में कार्यरत कर्मियों के सहयोग से इसका स्वतंत्र पक्का भवन बन गया और उसी में महाविद्यालय चलता आ रहा है। 1987 ई॰ में वैदिक श्री नारायण मिश्र प्रभारी प्रधानाचार्य हुए। 1989 ई॰ में श्री लखन जी चौधरी प्रधानाचार्य नियुक्त हुए थे। सम्प्रति डॉ॰ नन्द कुमार चौधरी प्रभारी प्रधानाचार्य है। छात्रों कि संख्या संतोषजनक है और महाविद्यालय परिसर में शैक्षणिक वातावरण स्पष्ट दिखाई देता है।